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आत्मबली, बुद्धिबली और बाहुबली हनुमान लीडर्स को राह दिखानेवाली लीडरशिप

सरश्री

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12055
आईएसबीएन :9789352666003

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आज तक हम अनेक बलों के बारे में सुनते आए हैं। जैसे शरीर के बल को बाहुबल कहा जाता है, बुद्धि के बल को बुद्धिबल कहा जाता है तो मन के बल को मनोबल या संकल्प शक्ति का बल कहा जाता है। इन सभी बलों को जोड़नेवाला बल ‘संपूर्ण बल’ कहलाता है। इसे आत्मन बल (आत्मबल) भी कहा जा सकता है। आत्मन बल-मन, शरीर और बुद्धि के जोड़ से प्रकट होता है। इस बल के साथ आत्म ज्ञान होना भी जरूरी है वरना यह बल संपूर्ण बल नहीं बन सकता।

यदि आत्मन बल नहीं है तो सारे बल प्राप्त करके भी इनसान अधूरा ही रहता है, महाबली नहीं बन सकता। इसलिए महाबली हनुमान के गुणों को ग्रहण करने के लिए उनकी गहराई में जाना अत्यंत आवश्यक है।

यदि इनसान के अंदर आत्मन बल है तो बाकी बल आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। आत्मविकास पर काम करनेवालों में से कुछ लोग बाहुबल को या मनोबल को ज्यादा महत्त्व देते हैं तो कुछ लोग बुद्धिबल को ही श्रेष्ठ समझते हैं। इस अधूरी समझ के कारण वे जीवन में उच्च अभिव्यक्ति नहीं कर पाते।

इस पुस्तक में हनुमान को ‘ग्लोबल हनुमान’ यह नया नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि हनुमान के गुणों और बलों की आवश्यकता आज पूरे ग्लोब अर्थात् विश्व को है। वरना इनसान इस संभ्रम में पड़ सकता है कि यह अनोखा अवतार केवल भारत तक ही सीमित है। ऊपर बताए गए सभी बलों को धारण करनेवाले महामानव, सुपरमैन का रूप हमें हनुमान में दिखाई देता है, इसलिए भी इस पुस्तक में ‘आत्मन बल’ को ‘ग्लो बल’ नाम दिया गया है।

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